Friday, September 18, 2020

Imam Husain A S Leader of Love and Humanity

 

Quotes about Imam Hussain (A.S) by Renowned Personalities:

इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की कुरबानी विद्वानों की ज़ुबानी:

️Rabindranath Tagore रबीन्द्रनाथ टैगोर (Indian Nobel Prize  Winner in Literature 1913):

" इन्साफ और सच्चाई को ज़िंदा रखने के लिए, फाैजो या हथियारों की जरूरत नहीं होती है। कुर्बानिया देकर भी फतह (जीत) हासिल की जा सकती है, जैसे की इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने करबला में किया। "इमाम हुसैन (..) मानवता के नेता हैइमाम हुसैन (..)  ठन्डे दिलों को जोश दिलाते रहेंगे।  इमाम हुसैन का बलिदान आध्यात्मिक मुक्ति को इंगित करता है।"

️Dr. Radhakrishnan डॉ. राधाकृष्णन (Ex President of India):   

"अगरचे इमाम हुसैन (..) ने सदियों पहले अपनी शहादत दी, लेकिन इनकी पाक रूह आज भी लोगों के दिलों पर राज करती है।" 

️Sarojini Naidu श्रीमती सरोजिनी नायडू (Great indian poetess titled Nightingale of India):

"में मुसलमानों को इसलिए मुबारकबाद  पेश करना चाहती हूं की यह उनकी खुशकिस्मती है की उनके बीच दुनिया की सबसे बड़ी हस्ती इमाम हुसैन (..) पैदा हुए जो सम्पूर्ण रूप से दुनिया भर के तमाम जाति और समूह के दिलों पर राज किया और करता है।"

️Dr. Rajendra Prasad डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ( First president of india):

"इमाम हुसैन (..) की कुरबानी  किसी एक मुल्क या कोम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह लोगों में भाईचारे का एक असीमित राज्य है।"

️Swami shankracharya स्वामि शंकराचार्य (Hindu Religious   Priest):

 "यह इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की कुर्बानियों का नतीजा है कि आज इस्लाम का नाम बाकी है नहि तो आज इस्लाम का नाम लेने वाला पूरी दुनिया में कोई भी नहीं होता।"

️Pandit Jawaharlal Nehru पंडित जवाहरलाल नेहरु (First prime minister of India):

"इमाम हुसैन (..) की कुरबानी तमाम गिरोहों और सारे समाज के लिए हैं,और यह कुरबानी इंसानियत की एक अनमोल मिसाल है।" 

️Mohandas Karamchan Gandhi मोहनदास करमचंद गांधी (Father of the Nation- INDIA):

"मैने हुसैन (..) से सीखा कि मजलुमियत में किस तरह जीत हासिल की जा सकती है। इस्लाम की बढ़ोतरी तलवार पर निर्भर नहीं करती बल्कि हुसैन (..) के बलिदान का एक नतीजा है जो एक महान संत थे।" 

️ Charles Dickens चार्ल्स डिकेंस (English Novelist):     

"अगर हुसैन (..) अपनी सांसारिक इच्छाओं के लिए लड़े थे तो मुझे यह समज नहीं आता कि उन्होंने अपनी बहन,पत्नी और बच्चों को साथ क्यों लिया। इसी कारण में यह सोचने और कहने पर विवश हूं कि उन्होंने पूरी तरह से सिर्फ़ इस्लाम के लिए अपने पूरे परिवार का बलिदान दिया ताकि इस्लाम बच जाए।" 

 ️Dr. K sheldrake डॉ. के शेल्ड्रेक :

"इस बहादुर और निडर लोगों में सभी औरते और बच्चे इस बात को अच्छी तरह से जानते और समझते थे कि दुश्मन की फाैजो ने इनका घेरा किया हुआ है, और दुश्मन सिर्फ़ लड़ने के लिए नहीं बल्कि इनको कत्ल करने के लिए तैयार है। जलति रेत, तपता सूरज और बच्चों की प्यास ने भी इन्हें एक पल के, इनमें से किसी एक व्यक्ति को भी अपना क़दम डगमगा ने नहीं दिया। हुसैन (..) अपनी एक छोटी टुकड़ी के साथ आगे बढ़े, किसी शान के लिए, धन के लिए, ही किसी अधिकार और सत्ता के लिए, बल्कि वो बढ़े एक बहुत बड़ी कुरबानी देने के लिए जिसमें उन्होंने हर क़दम पर सारी मुश्किलों का सामना करते हुए भी अपनी सत्यता का कारनामा दिखा दिया।" 

️ Antoine Bara अंटोनी बारा (Lebanese writer):

"मानवता के वर्तमान और अतित के इतिहास में कोई भी यूद्घ  ऐसा नहीं है जिसने इतनी मात्रा में सहानुभती और प्रशंसा हासिल की है और सारी मानवजाति को इतना अधिक उपदेश उदाहरण दिया है जितनी इमाम हुसैन (..) की शहादत ने करबला के यूद्घ से दी है।" 

 ️ Reynold Alleyne Nicholson रेनॉल्ड निकोल्सन:

"हुसैन गिरे, तिरो से छिदे हुए , इनके बहादुर सदस्य आखरी हद तक मारे - काटे जा चुके थे, मुहम्मदी परंपरा अपने अंत पर पहुंच जाती, अगर इस असाधारण शहादत और कुरबानी को पेश ना किया जाता। इस घटना ने पूरी बनी उम्मया को हुसैन (..) के परिवार का दुश्मन, यजीद को हत्यारा और इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम को "शहिद" घोषित कर दिया"

 ️Thomas carlyle थॉमस कार्लाइल (Scottish historian and essayist): 

" करबला की दु:खद घटना से जो हमे सबसे बड़ी सीख मिलती है वो यह है कि इमाम हुसैन (..) और इनके साथियों का अल्लाह पर अतुट विश्वास था और वोह सब मोमिन (अल्लाह से डरने वाले) थे। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने यह सीखा दिया कि सैन्य विशालता ताक़त नहि बन सकती।" 

  • ️ Edward G. Brown एडवर्ड ब्राऊन (Professor at The University of Cambridge):

"करबला के खूनी सहरा की याद जहां अल्लाह के रसूल का नवासा प्यास के मारे ज़मीन पर गिरा और जिसके चारों तरफ़ सगे संबंधियों के लाशे थी यह इस बात को समजने के लिए काफी है कि दुश्मनों की दीवानगी अपने चरम सीमा पर थी, और यह सबसे बड़ा गम (शौक) है जहां भावनाओं और आत्मा पर इस तरह नियंत्रण था कि इमाम हुसैन (..) को किसी भी प्रकार का दर्द् , खतरा और किसी भी प्रीये  की मौत ने उनके कदमों को नहीं डगमगाया।"

    एक शायर ने क्या खूब कहा है:

"इन्सान को बेदार तो हो लेने दो, हर कौम पुकारेगी हमारे है या हुसैन"